Upasna

ॐ।
जय माँ।
श्री राधे।
ऐं।
पंचम भाव मे, जिस तत्व की राशि स्थित हो, उस देव की उपासना से तत्काल फल मिलता है व ज्ञान का
उदय होता है।देव पांच है।जो सम्पूर्ण
ब्रह्माण्ड में व प्राणिमात्र में व्याप्त है।
तत्व        गुण                     देवता
आकाश-  शब्द                    विष्णु
   वायु-     शब्द+स्पर्श          गणेश
अग्नि -    शब्द+ स्पर्श+रूप    सूर्य
जल  -     शब्द+ स्पर्श+ रूप+रस  
                                      = शिव
पृथ्वी -शब्द+ स्पर्श+रूप+रस+ गन्ध
                                    = शक्ति।
विष्णु की उपासना से, आकाश तत्व
प्रभावित होता है, आकाश का गुण
शब्द है, स्तुति से,शंख ध्वनि से, घण्टा
से  व ज्ञान दान से आकाश तत्व जाग्रत होकर लाभ देता है।ॐ हरि ॐ
वायु का गुण है स्पर्श, श्री गणेश इसके
देवता है, गणेश जी को प्रसन्न करने
के लिए सिंदूर व तेल से उनके लेप
हाथ से किया जाता है, नर्तन, अभिनय, चँवर डुलाना, पंखा करना,
आभूषण धारण करना व वस्त्र दान से
गणेश प्रसन्न होकर वायु तत्व से रक्षा
करते है।।
अग्नि तत्व के देवता सूर्य है, अग्नि का गुण रूप है, ज्योति जला कर, यज्ञ कर, सूर्य को प्रणाम करने से, भोजन
खिलाने से, भोजन करने से व अन्नदान करने से सूर्य प्रसन्न होकर
शरीर में ओज व कांति देते है, राज्य से लाभ, शरीर सुख, आरोग्यता देते है।।
जल तत्व के देवता, भगवान शिव है,
जल का गुण रस है, शिव पर जल धारा देने से,नित्य स्नान करने से,
तीर्थ स्नान, कलश स्थापन से, तर्पण
करने से,फल दान से शिव प्रसन्न होकर शरीर में रक्त रस को पूर्ण करके आयुष्य योग को बढ़ाते है।पृथ्वी तत्व के देवता माँ दुर्गा है।
पृथ्वी का गुण है, गन्ध। सुगन्ध अर्पण
करने से,सुगन्धित पुष्प, वस्त्र, चन्दन,
भूदान, शस्त्र दान से दुर्गा प्रसन्न होने
व राज्य व भूमि प्रदान करती है।
इस प्रकार पञ्च देवों की उपासना से मन प्रसन्न, सभी प्रकार की बाधाओं
का शमन व जिस तत्व की कमी हो,
उससे पूरा होता है।गुरु देव  से विचार कर के  लिखा।गुरु कृपा केवलं।

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